यहां एक कराटे मास्टर की प्रेरक कहानी है, जिसमें हर पैराग्राफ के साथ एक तस्वीर भी है:
एक छोटे से गाँव में आरव नाम का एक शांत और शर्मीला लड़का रहता था। स्कूल में बच्चे अक्सर उसे चिढ़ाते थे, और उसमें खुद के लिए खड़े होने का आत्मविश्वास नहीं था। यह देखकर, उसके पिता चाहते थे कि वह मजबूत बने—न केवल शारीरिक रूप से, बल्कि मानसिक रूप से भी। इसलिए उन्होंने आरव को कराटे क्लास में दाखिला दिलाया।


उसके सेंसेई अक्सर कहते थे:
“कराटे सिर्फ मुक्कों और किक के बारे में नहीं है; यह अपने अंदर के डर पर काबू पाने की कला है।”
आरव हर दिन दो घंटे अभ्यास करता था। धीरे-धीरे, उसकी तकनीकें सुधरीं, उसके मूवमेंट्स तेज और तीखे हुए, और उसका आत्मविश्वास बढ़ने लगा। एक दिन, उसके सेंसेई ने कहा:
“तुम सिर्फ कराटे नहीं सीख रहे हो—तुम इसे जीना शुरू कर रहे हो।”

समय के साथ, आरव की कड़ी मेहनत और अनुशासन ने उसे जिला-स्तरीय प्रतियोगिताओं, फिर राज्य-स्तरीय चैंपियनशिप जीतने में मदद की, और अंततः, उसने राष्ट्रीय स्वर्ण पदक जीता, जिससे उसके गाँव को गर्व हुआ।

लेकिन उसकी सबसे बड़ी उपलब्धि कुछ और थी—वह एक शिक्षक बन गया था।
आज, आरव एक सम्मानित कराटे मास्टर है जो बच्चों को न केवल तकनीक सिखाता है, बल्कि आत्मविश्वास, अनुशासन और सम्मान का सही अर्थ भी सिखाता है। उसके कई छात्र अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं।





